किसी हालत में भी तन्हा नहीं होने देती; है यही एक ख़राबी मेरी तन्हाई की! |
ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया; झूठी क़सम से आप का ईमान तो गया! |
सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर; अब किसे रात भर जगाती है! |
हैरान मत हो तैरती मछली को देख कर; पानी में रौशनी को उतरते हुए भी देख! |
ख़्वाब ही ख़्वाब कब तलक देखूँ; काश तुझ को भी इक झलक देखूँ! |
मुद्दत से ख़्वाब में भी नहीं नींद का ख़याल; हैरत में हूँ ये किस का मुझे इंतज़ार है! |
दिल में वो भीड़ है कि ज़रा भी नहीं जगह; आप आइए मगर कोई अरमाँ निकाल के! |
ये दिल का दर्द तो उम्रों का रोग है प्यारे; सो जाए भी तो पहर दो पहर को जाता है! |
तोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों को; दोस्तो अपने ताल्लुक को सँवारा जाए! * ताल्लुक : संबंध |
मेरा बचपन भी साथ ले आया; गाँव से जब भी आ गया कोई! |