काफ़ी है मेरे दिल की तसल्ली को यही बात; आप आ न सके आप का पैग़ाम तो आया! |
मैं अब किसी की भी उम्मीद तोड़ सकता हूँ; मुझे किसी पे भी अब कोई ऐतबार नहीं! |
किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहीं; वो रंग है ही नहीं जो तेरे बदन में नहीं! |
वस्ल में रंग उड़ गया मेरा; क्या जुदाई को मुँह दिखाऊँगा! *वस्ल: मिलन |
इश्क़ में कुछ नज़र नहीं आया; जिस तरफ़ देखिए अँधेरा है! |
अपनी हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को; मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं! |
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है; दर्द दिल का लिबास होता है! |
क्यों न अपनी ख़ूबी-ए-क़िस्मत पे इतराती हवा; फूल जैसे एक बदन को छू कर आई थी हवा! |
मुझ से बिछड़ के तू भी तो रोएगा उम्र भर; ये सोच ले कि मैं भी तेरी ख़्वाहिशों में हूँ! |
लोग कहते हैं रात बीत चुकी; मुझ को समझाओ, मैं शराबी हूँ! |