Hindi Shayari

  • तुम अपने चाँद तारे कहकशाँ चाहे जिसे देना;</br>
मेरी आँखों पे अपनी दीद की इक शाम लिख देना!Upload to Facebook
    तुम अपने चाँद तारे कहकशाँ चाहे जिसे देना;
    मेरी आँखों पे अपनी दीद की इक शाम लिख देना!
  • आते ही जो तुम मेरे गले लग गए वल्लाह;</br>
उस वक़्त तो इस गर्मी ने सब मात की गर्मी!Upload to Facebook
    आते ही जो तुम मेरे गले लग गए वल्लाह;
    उस वक़्त तो इस गर्मी ने सब मात की गर्मी!
    ~ Nazeer Akbarabadi
  • आई होगी किसी को हिज्र में मौत;</br>
मुझ को तो नींद भी नहीं आती!Upload to Facebook
    आई होगी किसी को हिज्र में मौत;
    मुझ को तो नींद भी नहीं आती!
    ~ Akbar Allahabadi
  • उस गली ने ये सुन के सब्र किया;</br>
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं!Upload to Facebook
    उस गली ने ये सुन के सब्र किया;
    जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं!
    ~ Jaun Elia
  • नशा था ज़िंदगी का शराबों से तेज़-तर;</br>
हम गिर पड़े तो मौत उठा ले गई हमें!Upload to Facebook
    नशा था ज़िंदगी का शराबों से तेज़-तर;
    हम गिर पड़े तो मौत उठा ले गई हमें!
    ~ Irfan Ahmad
  • ज़ाहिर की आँख से न तमाशा करे कोई;</br>
हो देखना तो दीदा-ए-दिल वा करे कोई!Upload to Facebook
    ज़ाहिर की आँख से न तमाशा करे कोई;
    हो देखना तो दीदा-ए-दिल वा करे कोई!
    ~ Allama Iqbal
  • न जाने कौन सी मंज़िल पे इश्क़ आ पहुँचा;</br>
दुआ भी काम न आए कोई दवा न लगे!Upload to Facebook
    न जाने कौन सी मंज़िल पे इश्क़ आ पहुँचा;
    दुआ भी काम न आए कोई दवा न लगे!
    ~ Aziz-ur-Rahman
  • रोते जो आए थे रुला के गए;</br>
इब्तिदा इंतेहा को रोते हैं!Upload to Facebook
    रोते जो आए थे रुला के गए;
    इब्तिदा इंतेहा को रोते हैं!
    ~ Riyaz Khairabadi
  • जाती है धूप उजले परों को समेट के;</br>
ज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं बिस्तर पे लेट के!Upload to Facebook
    जाती है धूप उजले परों को समेट के;
    ज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं बिस्तर पे लेट के!
    ~ Shakeb Jalali
  • बहुत क़रीब रही है ये ज़िंदगी हम से;</br>
बहुत अज़ीज़ सही ऐतबार कुछ भी नहीं!Upload to Facebook
    बहुत क़रीब रही है ये ज़िंदगी हम से;
    बहुत अज़ीज़ सही ऐतबार कुछ भी नहीं!
    ~ Akhtar Saeed Khan