वो जो प्यासा लगता था सैलाब-ज़दा था; पानी पानी कहते कहते डूब गया है! |
रोज़ दीवार में चुन देता हूँ मैं अपनी अना; रोज़ वो तोड़ के दीवार निकल आती है! *अना: मैं, अहम |
आप की याद आती रही रात भर; चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर! |
मेरी तरफ़ से तो टूटा नहीं कोई रिश्ता; किसी ने तोड़ दिया ऐतबार टूट गया! |
साक़ी मुझे शराब की तोहमत नहीं पसंद; मुझ को तेरी निग़ाह का इल्ज़ाम चाहिए! |
बड़े सीधे-साधे बड़े भोले-भाले; कोई देखे इस वक़्त चेहरा तुम्हारा! |
मरते हैं आरज़ू में मरने की; मौत आती है पर नहीं आती! |
आँखें खुलीं तो जाग उठीं हसरतें तमाम; उस को भी खो दिया जिसे पाया था ख़्वाब में! |
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता; मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो! |
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही; जिस की तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है! |