जुदाई Hindi Shayari

  • अभी राह में कई मोड़ है कोई आएगा कोई जाएगा;<br/>
तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो!Upload to Facebook
    अभी राह में कई मोड़ है कोई आएगा कोई जाएगा;
    तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो!
    ~ Bashir Badr
  • जिन्हें हम देख कर जीते थे 'नासिर';<br/>
वो लोग आँखों से ओझल हो गए हैं!Upload to Facebook
    जिन्हें हम देख कर जीते थे 'नासिर';
    वो लोग आँखों से ओझल हो गए हैं!
    ~ Nasir Kazmi
  • उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ;<br/>
अब क्या कहें ये क़िस्सा भी पुराना बहुत हुआ!Upload to Facebook
    उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ;
    अब क्या कहें ये क़िस्सा भी पुराना बहुत हुआ!
    ~ Ahmad Faraz
  • तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा;<br/>
यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो!Upload to Facebook
    तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा;
    यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो!
    ~ Bashir Badr
  • कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है;<br/> 
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है!Upload to Facebook
    कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है;
    रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है!
    ~ Shakeel Badayuni
  • ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है;<br/>
ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है!xUpload to Facebook
    ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है;
    ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है!x
    ~ Iftikhar Arif
  • हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और;<br/>
बढ़ जाएगी शायद मेरी तन्हाई ज़रा और!Upload to Facebook
    हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और;
    बढ़ जाएगी शायद मेरी तन्हाई ज़रा और!
    ~ Aanis Moin
  • ये कैफ़ियत है मेरी जान अब तुझे खो कर;<br/>
कि हम ने ख़ुद को भी पाया नहीं बहुत दिन से!Upload to Facebook
    ये कैफ़ियत है मेरी जान अब तुझे खो कर;
    कि हम ने ख़ुद को भी पाया नहीं बहुत दिन से!
    ~ Azhar Iqbal
  • रौशनी को तीरगी का क़हर बन कर ले गया;<br/>
आँख में महफ़ूज़ थे जितने भी मंज़र ले गया!
* तीरगी- अँधेराUpload to Facebook
    रौशनी को तीरगी का क़हर बन कर ले गया;
    आँख में महफ़ूज़ थे जितने भी मंज़र ले गया! * तीरगी- अँधेरा
    ~ Ejaz Asif
  • अभी हिज्र दामन में उतरा नहीं है; <br/>
मगर वस्ल का भी तो चर्चा नहीं है!<br/>
*हिज्र- जुदाई<br/><br/>Upload to Facebook
    अभी हिज्र दामन में उतरा नहीं है;
    मगर वस्ल का भी तो चर्चा नहीं है!
    *हिज्र- जुदाई

    ~ Chitra Bhardwaj Suman