आदम का जिस्म जब कि अनासिर से मिल बना; कुछ आग बच रही थी सो आशिक़ का दिल बना! |
मत पूछ कि मेरा कारोबार क्या है; मोहब्बत की छोटी सी दुकान है नफरत के बाजार में! |
बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का; जो चीरा तो इक क़तरा-ए-ख़ूँ न निकला! |
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यों; रोयेंगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यों। |
जब खाक ही होना था मुझको तो खाक-ए-रह-ए-सहरा होता, इक कोशिश-ए-पैहम तो होती, उड़ता होता, गिरता होता। 1. खाक - धूल, रंज, गर्द, मिट्टी जमीन 2. खाक-ए-रह-ए-सहरा - मरूस्थल या रेगिस्तान के रास्ते की धूल |
अब क्या करूँ तलाश किसी कारवां को मैं, गुम हो गया हूँ पाके तेरे आस्ताँ को मैं। 1. आस्ताँ - चौखट, दहलीज, ड्योढ़ी |
अजल को दोष दें, तकदीर को रोयें, मुझे कोसें; मेरे कातिल का चर्चा क्यों है मेरे सोगवारों में। 1. अजल - मृत्यु 2. सोगवारों - शोक करने वालों |
कुछ दर्द होना ही चाहिए, जिंदगी मे जनाब; ज़िंदा होने का अनुमान बना रहता है। |
सौ बार मरना चाहा निगाहों में डूब कर 'फ़राज़'; वो निगाह झुका लेते हैं हमें मरने नहीं देते। |
न कुछ फ़ना की ख़बर है न है बक़ा मालूम; बस एक बे-ख़बरी है सो वो भी क्या मालूम! Meaning: फना - मृत्यु, विनाश बका - अमरता, स्थायित्व |