दर्द Hindi Shayari

  • मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं;</br>
फिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं!Upload to Facebook
    मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं;
    फिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं!
    ~ Farhat Ehsas
  • अज़ाब होती हैं अक्सर शबाब की घड़ियाँ;</br>
गुलाब अपनी ही ख़ुश्बू से डरने लगते हैं!Upload to Facebook
    अज़ाब होती हैं अक्सर शबाब की घड़ियाँ;
    गुलाब अपनी ही ख़ुश्बू से डरने लगते हैं!
    ~ Badr Wasti
  • मेरी क़िस्मत में ग़म अगर इतना था;</br>
दिल भी या-रब कई दिए होते!Upload to Facebook
    मेरी क़िस्मत में ग़म अगर इतना था;
    दिल भी या-रब कई दिए होते!
    ~ Mirza Ghalib
  • वो अक्स बनके मेरी चश्म-ए-तर में रहता है;<br/>
अजीब शख़्स है पानी के घर में रहता है!Upload to Facebook
    वो अक्स बनके मेरी चश्म-ए-तर में रहता है;
    अजीब शख़्स है पानी के घर में रहता है!
    ~ Bismil Sabri
  • दर्द हो दिल में तो दवा कीजिये;<br/>
और जो दिल ही न हो तो क्या कीजिये!Upload to Facebook
    दर्द हो दिल में तो दवा कीजिये;
    और जो दिल ही न हो तो क्या कीजिये!
    ~ Manzar Lakhnavi
  • कभी इश्क़ करो और फिर देखो इस आग में जलते रहने से;<br/>
कभी दिल पर आँच नहीं आती कभी रंग ख़राब नहीं होता!Upload to Facebook
    कभी इश्क़ करो और फिर देखो इस आग में जलते रहने से;
    कभी दिल पर आँच नहीं आती कभी रंग ख़राब नहीं होता!
    ~ Saleem Kausar
  • बहार आए तो मेरा सलाम कह देना;<br/>
मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने!Upload to Facebook
    बहार आए तो मेरा सलाम कह देना;
    मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने!
    ~ Kaifi Azmi
  • आज की रात भी तन्हा ही कटी;<br/>
आज के दिन भी अंधेरा होगा!Upload to Facebook
    आज की रात भी तन्हा ही कटी;
    आज के दिन भी अंधेरा होगा!
    ~ Ahmad Nadeem Qasmi
  • हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल;<br/>
उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती!<br/><br/>
*शहरियत: सभ्यता, शिष्टता, नागरिकता।Upload to Facebook
    हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल;
    उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती!

    *शहरियत: सभ्यता, शिष्टता, नागरिकता।
    ~ Wasim Barelvi
  • अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की;<br/>
मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई!Upload to Facebook
    अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की;
    मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई!
    ~ Nushur Wahidi