गिला शिकवा Hindi Shayari

  • मुझ से बिछड़ के तू भी तो रोएगा उम्र भर;</br>
ये सोच ले कि मैं भी तेरी ख़्वाहिशों में हूँ!Upload to Facebook
    मुझ से बिछड़ के तू भी तो रोएगा उम्र भर;
    ये सोच ले कि मैं भी तेरी ख़्वाहिशों में हूँ!
    ~ Ahmad Faraz
  • इतना गया हूँ दूर मैं ख़ुद से कि दम-ब-दम;</br>
करनी पड़े है अपनी भी अब इल्तिजा मुझे!</br></br>
*दम-ब-दम: बार बारUpload to Facebook
    इतना गया हूँ दूर मैं ख़ुद से कि दम-ब-दम;
    करनी पड़े है अपनी भी अब इल्तिजा मुझे!

    *दम-ब-दम: बार बार
    ~ Mushafi Ghulan Hamdani
  • हम ने देखा है ज़माने का बदलना लेकिन;</br>
उनके बदले हुए तेवर नहीं देखे जाते!Upload to Facebook
    हम ने देखा है ज़माने का बदलना लेकिन;
    उनके बदले हुए तेवर नहीं देखे जाते!
    ~ Ali Ahmad Jalili
  • आदतन तुम ने कर दिए वादे;</br>
आदतन हम ने ए'तिबार किया!Upload to Facebook
    आदतन तुम ने कर दिए वादे;
    आदतन हम ने ए'तिबार किया!
    ~ Gulzar
  • मेरी ज़िंदगी पे न मुस्कुरा मुझे ज़िंदगी का इल्म नहीं;</br>
जिसे तेरे ग़म से हो वास्ता वो ख़िज़ाँ बहार से कम नहीं!</br></br>

* ख़िज़ाँ: पतझड़Upload to Facebook
    मेरी ज़िंदगी पे न मुस्कुरा मुझे ज़िंदगी का इल्म नहीं;
    जिसे तेरे ग़म से हो वास्ता वो ख़िज़ाँ बहार से कम नहीं!

    * ख़िज़ाँ: पतझड़
    ~ Shakeel Badayuni
  • कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई;<br/>
तूने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया!Upload to Facebook
    कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई;
    तूने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया!
    ~ Jaun Elia
  • तू भी सादा है कभी चाल बदलता ही नहीं;<br/>
हम भी सादा हैं इसी चाल में आ जाते हैं!Upload to Facebook
    तू भी सादा है कभी चाल बदलता ही नहीं;
    हम भी सादा हैं इसी चाल में आ जाते हैं!
    ~ Afzal Khan
  • यही हालात इब्तिदा से रहे;<br />
लोग हम से ख़फ़ा ख़फ़ा से रहे!<br /><br />
* इब्तिदा :आरम्भ, शुरुआत।
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    यही हालात इब्तिदा से रहे;
    लोग हम से ख़फ़ा ख़फ़ा से रहे!

    * इब्तिदा :आरम्भ, शुरुआत।
    ~ Javed Akhtar
  • बेहतर तो है यही कि न दुनिया से दिल लगे;<br/>
पर क्या करें जो काम न बे-दिल-लगी चले!Upload to Facebook
    बेहतर तो है यही कि न दुनिया से दिल लगे;
    पर क्या करें जो काम न बे-दिल-लगी चले!
    ~ Sheikh Ibrahim Zauq
  • या वो थे ख़फ़ा हम से, या हम हैं ख़फ़ा उन से;<br/>
कल उन का ज़माना था, आज अपना ज़माना है!Upload to Facebook
    या वो थे ख़फ़ा हम से, या हम हैं ख़फ़ा उन से;
    कल उन का ज़माना था, आज अपना ज़माना है!
    ~ Jigar Moradabadi