सब्र ऐ दिल कि ये हालत नहीं देखी जाती; ठहर ऐ दर्द कि अब ज़ब्त का यारा न रहा! *ज़ब्त: सहन |
सफ़र पीछे की जानिब है क़दम आगे है मेरा; मैं बूढ़ा होता जाता हूँ जवाँ होने की ख़ातिर! |
झूठ पर उस के भरोसा कर लिया; धूप इतनी थी कि साया कर लिया! |
एक दो ज़ख़्म नहीं जिस्म है सारा छलनी; दर्द बे-चारा परेशान है कहाँ से निकले! |
मेरा जी तो आँखों में आया ये सुनते; कि दीदार भी एक दिन आम होगा! *जी: दिल |
जितनी बँटनी थी बँट चुकी ये ज़मीन; अब तो बस आसमान बाक़ी है! |
मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबी; तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं! *सहरा: रेगिस्तान |
तुम्हारी याद में दुनिया को हूँ भुलाए हुए; तुम्हारे दर्द को सीने से हूँ लगाए हुए! |
फिर बैठे बैठे वादा-ए-वस्ल उस ने कर लिया; फिर उठ खड़ा हुआ वही रोग इंतज़ार का! *वादा-ए-वस्ल: मिलने का वादा |
अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को तुझ से हैं उम्मीदें; ये आख़िरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ! *शमएँ: मोमबत्ती |