मुझे ज़िंदगी की दुआ देने वाले; हँसी आ रही है तेरी सादगी पर! |
वो जिस घमंड से बिछड़ा गिला तो इस का है; कि सारी बात मोहब्बत में रख-रखाव की थी! |
किस किस तरह की दिल में गुज़रती हैं हसरतें; है वस्ल से ज़्यादा मज़ा इंतज़ार का! *वस्ल: मिलन |
प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर; भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर! |
तेरी बख़्शिश के भरोसे पे ख़ताएँ की हैं; तेरी रहमत के सहारे ने गुनहगार किया! |
ख़फ़ा हैं फिर भी आ कर छेड़ जाते हैं तसव्वुर में; हमारे हाल पर कुछ मेहरबानी अब भी होती है! *तसव्वुर: कल्पना |
हमें तो ख़ैर बिखरना ही था कभी न कभी; हवा-ए-ताज़ा का झोंका बहाना हो गया है! |
यही है ज़िंदगी अपनी यही है बंदगी अपनी; कि उन का नाम आया और गर्दन झुक गयी अपनी! |
कभी तो दैर-ओ-हरम से तू आएगा वापस; मैं मय-कदे में तेरा इंतज़ार कर लूँगा! *मय-कदे: शराब पीने का स्थान, मदिरालय |
अब आ गयी है सहर अपना घर सँभालने को; चलूँ कि जागा हुआ रात भर का मैं भी हूँ! |