Hindi Shayari

  • तुम से मिलती-जुलती मैं आवाज़ कहाँ से लाऊँगा;</br>
ताज-महल बन जाए अगर मुम्ताज़ कहाँ से लाऊँगा!Upload to Facebook
    तुम से मिलती-जुलती मैं आवाज़ कहाँ से लाऊँगा;
    ताज-महल बन जाए अगर मुम्ताज़ कहाँ से लाऊँगा!
  • राह में बैठा हूँ मैं तुम संग-ए-रह समझो मुझे;</br>
आदमी बन जाऊँगा कुछ ठोकरें खाने के बाद!Upload to Facebook
    राह में बैठा हूँ मैं तुम संग-ए-रह समझो मुझे;
    आदमी बन जाऊँगा कुछ ठोकरें खाने के बाद!
    ~ Bekhud Dehlvi
  • अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है</br>
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई कीUpload to Facebook
    अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है
    जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की
    ~ Parveen Shakir
  • कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए;</br>
तुम्हारे नाम की एक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए!Upload to Facebook
    कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए;
    तुम्हारे नाम की एक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए!
    ~ Bashir Badr
  • कोई हलचल है न आहट न सदा है कोई;</br>
दिल की दहलीज़ पे चुप-चाप खड़ा है कोई!</br></br>
*सदा: आवाज़/ पुकारUpload to Facebook
    कोई हलचल है न आहट न सदा है कोई;
    दिल की दहलीज़ पे चुप-चाप खड़ा है कोई!

    *सदा: आवाज़/ पुकार
    ~ Khurshid Ahmad Jami
  • रहने दे अपनी बंदगी ज़ाहिद;</br>
बे-मोहब्बत ख़ुदा नहीं मिलता!Upload to Facebook
    रहने दे अपनी बंदगी ज़ाहिद;
    बे-मोहब्बत ख़ुदा नहीं मिलता!
    ~ Mubarak Azimabadi
  • वो पूछता था मेरी आँख भीगने का सबब;</br>
मुझे बहाना बनाना भी तो नहीं आया!Upload to Facebook
    वो पूछता था मेरी आँख भीगने का सबब;
    मुझे बहाना बनाना भी तो नहीं आया!
    ~ Wasim Barelvi
  • उल्फ़त का है मज़ा कि 'असर' ग़म भी साथ हों;</br>
तारीकियाँ भी साथ रहें रौशनी के साथ!</br></br>
*तारीकियाँ: अंधेराUpload to Facebook
    उल्फ़त का है मज़ा कि 'असर' ग़म भी साथ हों;
    तारीकियाँ भी साथ रहें रौशनी के साथ!

    *तारीकियाँ: अंधेरा
    ~ Asar Akbarabadi
  • मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदर;</br>
आदमी हूँ सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर!</br></br>
*रुस्वाई: बदनामी</br>
*अस्बाब: कारण, हालातUpload to Facebook
    मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदर;
    आदमी हूँ सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर!

    *रुस्वाई: बदनामी
    *अस्बाब: कारण, हालात
    ~ Asad Badayuni
  • दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था;</br>
तालों की ईजाद से पहले सिर्फ़ भरोसा होता था!Upload to Facebook
    दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था;
    तालों की ईजाद से पहले सिर्फ़ भरोसा होता था!
    ~ Azhar Faragh