अगरचे फूल ये अपने लिए ख़रीदे हैं; कोई जो पूछे तो कह दूँगा उस ने भेजे हैं! *अगरचे: बहरहाल, यद्यपि, हालाँकि |
हर एक रात को महताब देखने के लिए; मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए! *महताब: चाँद |
धूप ने गुज़ारिश की; एक बूँद बारिश की! |
पुराने यार भी आपस में अब नहीं मिलते; न जाने कौन कहाँ दिल लगा के बैठ गया! |
ज़िक्र जब छिड़ गया क़यामत का; बात पहुँची तेरी जवानी तक! |
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में; जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं! |
जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई; दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई! |
अंधेरा है कैसे तेरा ख़त पढ़ूँ; लिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे! |
इज़हार-ए-हाल का भी ज़रिया नहीं रहा; दिल इतना जल गया है कि आँखों में नम नहीं! |
एक हो जाएँ तो बन सकते हैं ख़ुर्शीद-ए-मुबीं; वर्ना इन बिखरे हुए तारों से क्या काम बने! |