Hindi Shayari

  • इतना गया हूँ दूर मैं ख़ुद से कि दम-ब-दम;</br>
करनी पड़े है अपनी भी अब इल्तिजा मुझे!</br></br>
*दम-ब-दम: बार बारUpload to Facebook
    इतना गया हूँ दूर मैं ख़ुद से कि दम-ब-दम;
    करनी पड़े है अपनी भी अब इल्तिजा मुझे!

    *दम-ब-दम: बार बार
    ~ Mushafi Ghulan Hamdani
  • लोग नज़रों को भी पढ़ लेते हैं;</br>
अपनी आँखों को झुकाए रखना;Upload to Facebook
    लोग नज़रों को भी पढ़ लेते हैं;
    अपनी आँखों को झुकाए रखना;
  • दुआ को हाथ उठाते हुए लरज़ता हूँ;</br>
कभी दुआ नहीं माँगी थी माँ के होते हुए!</br></br>
*लरज़ता: Waver, Shake, Quiver  Upload to Facebook
    दुआ को हाथ उठाते हुए लरज़ता हूँ;
    कभी दुआ नहीं माँगी थी माँ के होते हुए!

    *लरज़ता: Waver, Shake, Quiver
    ~ Iftikhar Arif
  • उस को देखा तो ये महसूस हुआ;</br>
हम बहुत दूर थे ख़ुद से पहले!Upload to Facebook
    उस को देखा तो ये महसूस हुआ;
    हम बहुत दूर थे ख़ुद से पहले!
  • दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था;</br>
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था!Upload to Facebook
    दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था;
    इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था!
    ~ Qateel Shifai
  • समेट ले गए सब रहमतें कहाँ मेहमान;</br>
मकान काटता फिरता है मेज़बानों को!Upload to Facebook
    समेट ले गए सब रहमतें कहाँ मेहमान;
    मकान काटता फिरता है मेज़बानों को!
    ~ Asif Saqib
  • हम इंतज़ार करें हम को इतनी ताब नहीं;</br>
पिला दो तुम हमें पानी अगर शराब नहीं!Upload to Facebook
    हम इंतज़ार करें हम को इतनी ताब नहीं;
    पिला दो तुम हमें पानी अगर शराब नहीं!
    ~ Nooh Narvi
  • ये धूप तो हर रुख़ से परेशान करेगी;</br>
क्यों ढूँढ रहे हो किसी दीवार का साया!Upload to Facebook
    ये धूप तो हर रुख़ से परेशान करेगी;
    क्यों ढूँढ रहे हो किसी दीवार का साया!
    ~ Athar Nafees
  • इस भरोसे पे कर रहा हूँ गुनाह;</br>
बख़्श देना तो तेरी फ़ितरत है!Upload to Facebook
    इस भरोसे पे कर रहा हूँ गुनाह;
    बख़्श देना तो तेरी फ़ितरत है!
    ~ Author Unknown
  • ज़ुबान दिल की हक़ीक़त को क्या बयाँ करती;</br>
किसी का हाल किसी से कहा नहीं जाता!Upload to Facebook
    ज़ुबान दिल की हक़ीक़त को क्या बयाँ करती;
    किसी का हाल किसी से कहा नहीं जाता!
    ~ Aziz Lakhnavi