Hindi Shayari

  • मेरी ज़िंदगी पे न मुस्कुरा मुझे ज़िंदगी का इल्म नहीं;</br>
जिसे तेरे ग़म से हो वास्ता वो ख़िज़ाँ बहार से कम नहीं!</br></br>

* ख़िज़ाँ: पतझड़Upload to Facebook
    मेरी ज़िंदगी पे न मुस्कुरा मुझे ज़िंदगी का इल्म नहीं;
    जिसे तेरे ग़म से हो वास्ता वो ख़िज़ाँ बहार से कम नहीं!

    * ख़िज़ाँ: पतझड़
    ~ Shakeel Badayuni
  • यूँ ही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना;</br>
तेरी याद तो बन गई एक बहाना!Upload to Facebook
    यूँ ही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना;
    तेरी याद तो बन गई एक बहाना!
    ~ Sahir Ludhianvi
  • अब तो उतनी भी मयस्सर नहीं मय-ख़ाने में;</br>
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में!</br></br>

* मयस्सर:  AvailableUpload to Facebook
    अब तो उतनी भी मयस्सर नहीं मय-ख़ाने में;
    जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में!

    * मयस्सर: Available
    ~ Divakar Rahi
  • इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई;</br>
हम न सोए रात थक कर सो गई!Upload to Facebook
    इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई;
    हम न सोए रात थक कर सो गई!
    ~ Rahi Masoom Raza
  • इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा;</br>
आदमी काम का नहीं होता!Upload to Facebook
    इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा;
    आदमी काम का नहीं होता!
    ~ Jigar Moradabadi
  • सुना है उस के बदन की तराश ऐसी है;</br>
कि फूल अपनी क़बाएँ कतर के देखते हैं!Upload to Facebook
    सुना है उस के बदन की तराश ऐसी है;
    कि फूल अपनी क़बाएँ कतर के देखते हैं!
    ~ Ahmad Faraz
  • तुम से बिछड़ कर ज़िंदा हैं;</br>
जान बहुत शर्मिंदा हैं!Upload to Facebook
    तुम से बिछड़ कर ज़िंदा हैं;
    जान बहुत शर्मिंदा हैं!
    ~ Iftikhar Arif
  • मुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करे;</br>
कब मैं कहता हूँ मुझे प्यार ही करता जाए!Upload to Facebook
    मुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करे;
    कब मैं कहता हूँ मुझे प्यार ही करता जाए!
    ~ Iftikhar Naseem
  • इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की;</br>
आज पहली बार उस से मैंने बेवफ़ाई की!Upload to Facebook
    इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की;
    आज पहली बार उस से मैंने बेवफ़ाई की!
    ~ Ahmad Faraz
  • मेरी क़िस्मत में ग़म अगर इतना था;</br>
दिल भी या-रब कई दिए होते!Upload to Facebook
    मेरी क़िस्मत में ग़म अगर इतना था;
    दिल भी या-रब कई दिए होते!
    ~ Mirza Ghalib