Hindi Shayari

  • जाते हो ख़ुदा-हाफ़िज़ हाँ इतनी गुज़ारिश है;</br>
जब याद हम आ जाएँ मिलने की दुआ करना!Upload to Facebook
    जाते हो ख़ुदा-हाफ़िज़ हाँ इतनी गुज़ारिश है;
    जब याद हम आ जाएँ मिलने की दुआ करना!
    ~ Jaleel Manikpuri
  • मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं;</br>
फिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं!Upload to Facebook
    मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं;
    फिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं!
    ~ Farhat Ehsas
  • इलाही कैसी कैसी सूरतें तूने बनाई हैं;</br>
कि हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल है!</br></br>

* इलाही:  ख़ुदाUpload to Facebook
    इलाही कैसी कैसी सूरतें तूने बनाई हैं;
    कि हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल है!

    * इलाही: ख़ुदा
    ~ Akbar Allahabadi
  • क्यों हिज्र के शिकवे करता है क्यों दर्द के रोने रोता है;</br>
अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इस में तो यही कुछ होता है!</br></br>
*हिज्र: जुदाई, वियोग, विछोह, विरहUpload to Facebook
    क्यों हिज्र के शिकवे करता है क्यों दर्द के रोने रोता है;
    अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इस में तो यही कुछ होता है!

    *हिज्र: जुदाई, वियोग, विछोह, विरह
    ~ Hafeez Jalandhari
  • हमारे पेश-ए-नज़र मंज़िलें कुछ और भी थीं;</br>
ये हादसा है कि हम तेरे पास आ पहुँचे!Upload to Facebook
    हमारे पेश-ए-नज़र मंज़िलें कुछ और भी थीं;
    ये हादसा है कि हम तेरे पास आ पहुँचे!
    ~ Shehzad Ahmed
  • आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो;</br>
बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो!</br></br>

* महताब: चाँदUpload to Facebook
    आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो;
    बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो!

    * महताब: चाँद
    ~ Ahmad Faraz
  • आदतन तुम ने कर दिए वादे;</br>
आदतन हम ने ए'तिबार किया!Upload to Facebook
    आदतन तुम ने कर दिए वादे;
    आदतन हम ने ए'तिबार किया!
    ~ Gulzar
  • हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं;</br>
तुम्हारे देखने वालों में यार हम भी हैं!Upload to Facebook
    हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं;
    तुम्हारे देखने वालों में यार हम भी हैं!
    ~ Amir Meenai
  • उस के होंठों पे रख के होंठ अपने;</br>
बात ही हम तमाम कर रहे हैं!Upload to Facebook
    उस के होंठों पे रख के होंठ अपने;
    बात ही हम तमाम कर रहे हैं!
    ~ Jaun Elia
  • अज़ाब होती हैं अक्सर शबाब की घड़ियाँ;</br>
गुलाब अपनी ही ख़ुश्बू से डरने लगते हैं!Upload to Facebook
    अज़ाब होती हैं अक्सर शबाब की घड़ियाँ;
    गुलाब अपनी ही ख़ुश्बू से डरने लगते हैं!
    ~ Badr Wasti