गिला शिकवा Hindi Shayari

  • जवानी को बचा सकते तो हैं हर दाग़ से वाइज़;</br>
मगर ऐसी जवानी को जवानी कौन कहता है!Upload to Facebook
    जवानी को बचा सकते तो हैं हर दाग़ से वाइज़;
    मगर ऐसी जवानी को जवानी कौन कहता है!
    ~ Fani Badayuni
  • भोली बातों पे तेरी दिल को यकीन;</br>
पहले आता था अब नहीं आता!Upload to Facebook
    भोली बातों पे तेरी दिल को यकीन;
    पहले आता था अब नहीं आता!
    ~ Arzoo Lakhnavi
  • वो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गई फ़ुर्सत;</br>
हमें गुनाह भी करने को ज़िंदगी कम है!Upload to Facebook
    वो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गई फ़ुर्सत;
    हमें गुनाह भी करने को ज़िंदगी कम है!
    ~ Anand Narayan Mulla
  • दिल को ख़ुदा की याद तले भी दबा चुका;</br>
कम-बख़्त फिर भी चैन न पाए तो क्या करूँ!Upload to Facebook
    दिल को ख़ुदा की याद तले भी दबा चुका;
    कम-बख़्त फिर भी चैन न पाए तो क्या करूँ!
    ~ Hafeez Jalandhari
  • मेरी ज़ुबान के मौसम बदलते रहते हैं;</br>
मैं आदमी हूँ मेरा ऐतबार मत करना!Upload to Facebook
    मेरी ज़ुबान के मौसम बदलते रहते हैं;
    मैं आदमी हूँ मेरा ऐतबार मत करना!
    ~ Asim Wasti
  • कोई चारा नहीं दुआ के सिवा;<br/>
कोई सुनता नहीं ख़ुदा के सिवा!Upload to Facebook
    कोई चारा नहीं दुआ के सिवा;
    कोई सुनता नहीं ख़ुदा के सिवा!
    ~ Hafeez Jalandhari
  • दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता है;</br>
जो किसी और का होने दे न अपना रखे!</br></br>
*वाबस्ता: संबंधित, जुड़ा हुआUpload to Facebook
    दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता है;
    जो किसी और का होने दे न अपना रखे!

    *वाबस्ता: संबंधित, जुड़ा हुआ
    ~ Ahmad Faraz
  • उन रस भरी आँखों में हया खेल रही है;</br>
दो ज़हर के प्यालों में क़ज़ा खेल रही है!</br></br>
* हया: शर्म</br>
* क़ज़ा: मृत्युUpload to Facebook
    उन रस भरी आँखों में हया खेल रही है;
    दो ज़हर के प्यालों में क़ज़ा खेल रही है!

    * हया: शर्म
    * क़ज़ा: मृत्यु
    ~ Akhtar Sheerani
  • और इस से पहले कि साबित हो जुर्म-ए-ख़ामोशी;</br>
हम अपनी राय का इज़हार करना चाहते हैं!Upload to Facebook
    और इस से पहले कि साबित हो जुर्म-ए-ख़ामोशी;
    हम अपनी राय का इज़हार करना चाहते हैं!
    ~ Saleem Kausar
  • दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते;
अब कोई शिकवा हम नहीं करते!Upload to Facebook
    दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते; अब कोई शिकवा हम नहीं करते!
    ~ Jaun Elia