Hindi Shayari

  • ख़्वाब होते हैं देखने के लिए;</br>
उन में जा कर मगर रहा न करो!Upload to Facebook
    ख़्वाब होते हैं देखने के लिए;
    उन में जा कर मगर रहा न करो!
    ~ Munir Niazi
  • मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का;</br>
मैं चुप रहूँ तो बड़ी बेबसी सी होती है!Upload to Facebook
    मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का;
    मैं चुप रहूँ तो बड़ी बेबसी सी होती है!
    ~ Bashir Badr
  • बहारों की नज़र में फूल और काँटे बराबर हैं;</br>
मोहब्बत क्या करेंगे दोस्त दुश्मन देखने वाले!Upload to Facebook
    बहारों की नज़र में फूल और काँटे बराबर हैं;
    मोहब्बत क्या करेंगे दोस्त दुश्मन देखने वाले!
    ~ Kalim Aajiz
  • वो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गई फ़ुर्सत;</br>
हमें गुनाह भी करने को ज़िंदगी कम है!Upload to Facebook
    वो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गई फ़ुर्सत;
    हमें गुनाह भी करने को ज़िंदगी कम है!
    ~ Anand Narayan Mulla
  • अभी से पाँव के छाले न देखो;</br>
अभी यारो सफ़र की इब्तिदा है!</br></br>
*इब्तिदा: शुरुआतUpload to Facebook
    अभी से पाँव के छाले न देखो;
    अभी यारो सफ़र की इब्तिदा है!

    *इब्तिदा: शुरुआत
    ~ Ejaz Rahmani
  • उस की आँखों को ग़ौर से देखो;</br>
मंदिरों में चिराग़ जलते हैं!Upload to Facebook
    उस की आँखों को ग़ौर से देखो;
    मंदिरों में चिराग़ जलते हैं!
    ~ Bashir Badr
  • दिल को ख़ुदा की याद तले भी दबा चुका;</br>
कम-बख़्त फिर भी चैन न पाए तो क्या करूँ!Upload to Facebook
    दिल को ख़ुदा की याद तले भी दबा चुका;
    कम-बख़्त फिर भी चैन न पाए तो क्या करूँ!
    ~ Hafeez Jalandhari
  • मेरे अंदर कई एहसास पत्थर हो रहे हैं;</br>
ये शीराज़ा बिखरना अब ज़रूरी हो गया है!</br></br>
*शीराज़ा: बिखरी हुई चीज़ों की एकत्रताUpload to Facebook
    मेरे अंदर कई एहसास पत्थर हो रहे हैं;
    ये शीराज़ा बिखरना अब ज़रूरी हो गया है!

    *शीराज़ा: बिखरी हुई चीज़ों की एकत्रता
    ~ Khushbir Singh Shaad
  • मेरी ज़ुबान के मौसम बदलते रहते हैं;</br>
मैं आदमी हूँ मेरा ऐतबार मत करना!Upload to Facebook
    मेरी ज़ुबान के मौसम बदलते रहते हैं;
    मैं आदमी हूँ मेरा ऐतबार मत करना!
    ~ Asim Wasti
  • न वो सूरत दिखाते हैं न मिलते हैं गले आकर;</br>
न आँखें शाद होतीं हैं न दिल मसरूर होता है!</br></br>
*शाद: ख़ुशUpload to Facebook
    न वो सूरत दिखाते हैं न मिलते हैं गले आकर;
    न आँखें शाद होतीं हैं न दिल मसरूर होता है!

    *शाद: ख़ुश
    ~ Lala Madhav Ram Jauhar