लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से; तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से! |
एक एक बात में सच्चाई है उस की लेकिन; अपने वादों से मुकर जाने को जी चाहता है! |
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के शिकवे अब कहाँ; अब तो ये बातें भी ऐ दिल हो गयी आई गई! |
मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोड़ें; ये लीजिये आप का घर आ गया है हाथ छोड़ें! |
तेरी आँखों का कुछ क़ुसूर नहीं; हाँ मुझ ही को ख़राब होना था! |
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो; ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो! |
नहीं आती तो याद उनकी महीनों तक नहीं आती; मगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं! |
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा; लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं! |
सच तो ये है फूल का दिल भी छलनी है; हँसता चेहरा एक बहाना लगता है! |
तू सामने है तो फिर क्यों यक़ीं नहीं आता; ये बार बार जो आँखों को मल के देखते हैं! |