ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को; ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं! |
सब कुछ हम उन से कह गए लेकिन ये इत्तेफ़ाक़; कहने की थी जो बात वही दिल में रह गई! |
एक मुद्दत से तेरी याद भी आयी न हमें; और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं! |
मुझे अब तुम से डर लगने लगा है; तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या! |
मेरे ख़ुदा मुझे इतना तो मोतबर कर दे; मैं जिस मकान में रहता हूँ उस को घर कर दे! |
हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल; उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती! *शहरियत: सभ्यता, शिष्टता, नागरिकता। |
एक अजब हाल है कि अब उस को; याद करना भी बेवफ़ाई है! |
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की; मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई! |
मैं हूँ दिल है तन्हाई है; तुम भी होते अच्छा होता! |
चल साथ कि हसरत दिल-ए-मरहूम से निकले; आशिक़ का जनाज़ा है ज़रा धूम से निकले! |