मुसाफ़िरों से मोहब्बत की बात कर लेकिन; मुसाफ़िरों की मोहब्बत का ए'तिबार न कर! |
मज़ा आता अगर गुज़री हुई बातों का अफ़्साना, कहीं से तुम बयाँ करते कहीं से हम बयाँ करते! |
ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही; जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही! |
तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता; वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता! |
सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं; गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं! |
ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़; मुझ को आदत है मुस्कुराने की! |
आप के लब पे और वफ़ा की क़सम; क्या क़सम खाई है ख़ुदा की क़सम! |
दिल से अगर कभी तेरा अरमान जाएगा; घर को लगा के आग ये मेहमान जाएगा! |
मैं उस को भूल गया हूँ वो मुझ को भूल गया; तो फिर ये दिल पे क्यों दस्तक सी ना-गहानी हुई! *ना-गहानी - आकस्मिक, इत्तिफ़ाक़ी, दैविक, गैवी |
जवानी क्या हुई इक रात की कहानी हुई; बदन पुराना हुआ रूह भी पुरानी हुई! |