Hindi Shayari

  • क़ासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ;</br>
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में!Upload to Facebook
    क़ासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ;
    मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में!
    ~ Mirza Ghalib
  • आईनों को ज़ंग लगा;</br>
अब मैं कैसा लगता हूँ!Upload to Facebook
    आईनों को ज़ंग लगा;
    अब मैं कैसा लगता हूँ!
    ~ Jaun Elia
  • हम को किस के गम ने मारा ये कहानी फिर सही;</br>
किस ने तोडा ये दिल हमारा ये कहानी फिर सही!Upload to Facebook
    हम को किस के गम ने मारा ये कहानी फिर सही;
    किस ने तोडा ये दिल हमारा ये कहानी फिर सही!
    ~ Masroor Anwar
  • वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले;</br>
मगर अपने अपने मक़ाम पर कभी तुम नहीं कभी हम नहीं!Upload to Facebook
    वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले;
    मगर अपने अपने मक़ाम पर कभी तुम नहीं कभी हम नहीं!
    ~ Shakeel Badayuni
  • एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक;</br>
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा!Upload to Facebook
    एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक;
    जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा!
    ~ Nida Fazli
  • ईद का दिन है, गले आज तो मिल ले ज़ालिम;</br>
रस्म-ए-दुनिया भी है, मौक़ा भी है, दस्तूर भी है।Upload to Facebook
    ईद का दिन है, गले आज तो मिल ले ज़ालिम;
    रस्म-ए-दुनिया भी है, मौक़ा भी है, दस्तूर भी है।
    ~ Qamar Badayuni
  • हसरतों का हो गया है इस क़दर दिल में हुजूम;</br>
साँस रस्ता ढूँढती है आने जाने के लिए!Upload to Facebook
    हसरतों का हो गया है इस क़दर दिल में हुजूम;
    साँस रस्ता ढूँढती है आने जाने के लिए!
  • चल साथ कि हसरत दिल-ए-मरहूम से निकले,</br>
आशिक़ का जनाज़ा है, ज़रा धूम से निकले।Upload to Facebook
    चल साथ कि हसरत दिल-ए-मरहूम से निकले,
    आशिक़ का जनाज़ा है, ज़रा धूम से निकले।
  • न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा;</br>
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा!Upload to Facebook
    न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा;
    हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा!
    ~ Rahat Indori
  • मैं उस के बदन की मुक़द्दस किताब;</br>
निहायत अक़ीदत से पढ़ता रहा!</br>
*मुक़द्दस: पवित्र</br>
*अक़ीदत: श्रद्धाUpload to Facebook
    मैं उस के बदन की मुक़द्दस किताब;
    निहायत अक़ीदत से पढ़ता रहा!
    *मुक़द्दस: पवित्र
    *अक़ीदत: श्रद्धा
    ~ Mohammed Alvi