गिला शिकवा Hindi Shayari

  • की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं;<br/>
होती आई है कि अच्छों को बुरा कहते हैं।Upload to Facebook
    की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं;
    होती आई है कि अच्छों को बुरा कहते हैं।
    ~ Mirza Ghalib
  • अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी;<br/>
तिरा रिन्द गिरते गिरते कहीं फिर संभल न जाए।Upload to Facebook
    अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी;
    तिरा रिन्द गिरते गिरते कहीं फिर संभल न जाए।
    ~ Sahir Ludhianvi
  • समझ में साफ़ आ जाए फ़साहत इस को कहते हैं;<br/>
असर हो सुनने वाले पर बलाग़त इस को कहते हैं।<br/><br/>
Meaning:<br/>
फ़साहत  =  शुद्ध या अच्छी भाषा<br/>
बलाग़त  =  भाषणUpload to Facebook
    समझ में साफ़ आ जाए फ़साहत इस को कहते हैं;
    असर हो सुनने वाले पर बलाग़त इस को कहते हैं।

    Meaning:
    फ़साहत = शुद्ध या अच्छी भाषा
    बलाग़त = भाषण
    ~ Akbar Allahabadi
  • सख्तियां करता हूं दिल पर गैर से गाफिल हूं मैं;<br/>
हाय क्या अच्छी कही जालिम हूं, जाहिल हूं मैं।<br/><br/>
Meaning:<br/>
गाफिल - अनजानUpload to Facebook
    सख्तियां करता हूं दिल पर गैर से गाफिल हूं मैं;
    हाय क्या अच्छी कही जालिम हूं, जाहिल हूं मैं।

    Meaning:
    गाफिल - अनजान
    ~ Allama Iqbal
  • कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से,<br/>
ये नए मिजाज का शहर है, जरा फ़ासले से मिला करो।Upload to Facebook
    कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से,
    ये नए मिजाज का शहर है, जरा फ़ासले से मिला करो।
    ~ Bashir Badr
  • उम्मीदों का फटा पैरहन;<br/>
रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है;<br/>
तुम से मिलने की कोशिश में;<br/>
किस-किस से मिलना पड़ता है!Upload to Facebook
    उम्मीदों का फटा पैरहन;
    रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है;
    तुम से मिलने की कोशिश में;
    किस-किस से मिलना पड़ता है!
    ~ Dr. Kumar Vishwas
  • आज जिस्म में जान है तो देखते नही हैं लोग;<br/>
जब रूह निकल जाएगी तो कफन हटा हटा कर देखेंगे लोग!Upload to Facebook
    आज जिस्म में जान है तो देखते नही हैं लोग;
    जब रूह निकल जाएगी तो कफन हटा हटा कर देखेंगे लोग!
  • हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम;<br/>
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता।Upload to Facebook
    हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम;
    वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता।
    ~ Akbar Allahabadi
  • मिटा दे अपनी हस्ती को गर कुछ मर्तबा* चाहिए;<br/>
कि दाना खाक में मिलकर, गुले-गुलजार होता है|<br/><br/>
Meaning:<br/>
मर्तबा - इज्जत, पदUpload to Facebook
    मिटा दे अपनी हस्ती को गर कुछ मर्तबा* चाहिए;
    कि दाना खाक में मिलकर, गुले-गुलजार होता है|

    Meaning:
    मर्तबा - इज्जत, पद
    ~ Allama Iqbal
  • लेके तन के नाप को, घूमे बस्ती गाँव;<br/>
हर चादर के घेर से, बाहर निकले पाँव।Upload to Facebook
    लेके तन के नाप को, घूमे बस्ती गाँव;
    हर चादर के घेर से, बाहर निकले पाँव।
    ~ Nida Fazli