'मीर' अमदन भी कोई मरता है; जान है तो जहान है प्यारे। |
आईनों को ज़ंग लगा; अब मैं कैसा लगता हूँ! |
साहिल के सुकून से किसे इनकार है लेकिन; तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है! *साहिल: किनारा |
आसमाँ एक सुलगता हुआ सहरा है जहाँ; ढूँढता फिरता है ख़ुद अपना ही साया सूरज! *सहरा: रेगिस्तान |
क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है; हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है! *ख़ाक-नशीनों: तपस्वी |
रात को रोज़ डूब जाता है; चाँद को तैरना सिखाना है! |
हयात ले के चलो क़ायनात ले के चलो; चलो तो सारे ज़माने को साथ ले के चलो! |
दिल सा वहशी कभी क़ाबू में न आया यारो; हार कर बैठ गए जाल बिछाने वाले! |
हम तो बचपन में भी अकेले थे; सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे! |
शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को; मैं देखता रहा दरिया तेरी रवानी को! |