Hindi Shayari

  • हुस्न इक दिलरुबा हुकूमत है;</br>
इश्क़ इक क़ुदरती ग़ुलामी है!Upload to Facebook
    हुस्न इक दिलरुबा हुकूमत है;
    इश्क़ इक क़ुदरती ग़ुलामी है!
    ~ Abdul Hamid Adam
  • कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे,</br>
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे;</br>
शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं,</br>
मेरे बुझने का नज़ारा करने आ जाते होंगे!Upload to Facebook
    कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे,
    जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे;
    शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं,
    मेरे बुझने का नज़ारा करने आ जाते होंगे!
    ~ Jaun Elia
  • ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ;</br>
हम अपने शहर में होते तो घर गए होते!Upload to Facebook
    ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ;
    हम अपने शहर में होते तो घर गए होते!
    ~ Ummeed Fazli
  • चली है मौज में काग़ज़ की कश्ती;</br>
उसे दरिया का अंदाज़ा नहीं है!Upload to Facebook
    चली है मौज में काग़ज़ की कश्ती;
    उसे दरिया का अंदाज़ा नहीं है!
    ~ Saleem Ahmed
  • कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,</br>
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता;</br>
तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो,</br>
जहाँ उमीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता!</br></br>
*मुकम्मल: उत्तम, पूर्ण</br>
*ख़ुलूस: निष्कपटता, निश्छलताUpload to Facebook
    कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
    कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता;
    तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो,
    जहाँ उमीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता!

    *मुकम्मल: उत्तम, पूर्ण
    *ख़ुलूस: निष्कपटता, निश्छलता
    ~ Nida Fazli
  • जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस को;</br>
जिस को तुम याद हो वो और किसे याद करे!Upload to Facebook
    जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस को;
    जिस को तुम याद हो वो और किसे याद करे!
    ~ Josh Malsiani
  • हाँ उन्हीं लोगों से दुनिया में शिकायत है हमें;</br>
हाँ वही लोग जो अक्सर हमें याद आए हैं!Upload to Facebook
    हाँ उन्हीं लोगों से दुनिया में शिकायत है हमें;
    हाँ वही लोग जो अक्सर हमें याद आए हैं!
    ~ Rahi Masoom Raza
  • गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले,</br>
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले;</br>
क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो,</br>
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले!</br></br>
*बहर-ए-ख़ुदा: ईश्वर के लिए</br>
*क़फ़स: पिंजरा, क़ैदख़ाना</br>
*सबा: हवा, सुबह की हवाUpload to Facebook
    गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले,
    चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले;
    क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो,
    कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले!

    *बहर-ए-ख़ुदा: ईश्वर के लिए
    *क़फ़स: पिंजरा, क़ैदख़ाना
    *सबा: हवा, सुबह की हवा
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो;</br>
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो!Upload to Facebook
    सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो;
    सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो!
    ~ Nida Fazli
  • आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,</br>
कश्ती के मुसाफ़िर ने समंदर नहीं देखा;</br>
बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे,</br>
एक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा!</br>Upload to Facebook
    आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,
    कश्ती के मुसाफ़िर ने समंदर नहीं देखा;
    बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे,
    एक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा!
    ~ Bashir Badr