Hindi Shayari

  • ख़्वाहिशों ने डुबो दिया दिल को;</br>
वर्ना ये बहर-ए-बे-कराँ होता!</br></br>
*बहर-ए-बे-कराँ: बिना किनारे का समुद्र
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    ख़्वाहिशों ने डुबो दिया दिल को;
    वर्ना ये बहर-ए-बे-कराँ होता!

    *बहर-ए-बे-कराँ: बिना किनारे का समुद्र
    ~ Ismail Merathi
  • जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना;</br>
वस्ल से इंतज़ार अच्छा था!</br></br>
*वस्ल: मिलनUpload to Facebook
    जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना;
    वस्ल से इंतज़ार अच्छा था!

    *वस्ल: मिलन
    ~ Jaun Elia
  • लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुश्बू अज़ान दे;</br>
जी चाहता है मैं तेरी आवाज़ चूम लूँ!Upload to Facebook
    लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुश्बू अज़ान दे;
    जी चाहता है मैं तेरी आवाज़ चूम लूँ!
    ~ Bashir Badr
  • हो मोहब्बत की ख़बर कुछ तो ख़बर फिर क्यों हो;</br>
ये भी इक बे-ख़बरी है कि ख़बर रखते हैं!Upload to Facebook
    हो मोहब्बत की ख़बर कुछ तो ख़बर फिर क्यों हो;
    ये भी इक बे-ख़बरी है कि ख़बर रखते हैं!
    ~ Qalaq Merathi
  • जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए;</br>
तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया!Upload to Facebook
    जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए;
    तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया!
    ~ Nasir Kazmi
  • मैं बहुत ख़ुश था कड़ी धूप के सन्नाटे में;</br>
क्यों तेरी याद का बादल मेरे सिर पर आया!Upload to Facebook
    मैं बहुत ख़ुश था कड़ी धूप के सन्नाटे में;
    क्यों तेरी याद का बादल मेरे सिर पर आया!
    ~ Mushtaq Ahmad Yusufi
  • अगर बदल न दिया आदमी ने दुनिया को;</br>
तो जान लो कि यहाँ आदमी की ख़ैर नहीं!Upload to Facebook
    अगर बदल न दिया आदमी ने दुनिया को;
    तो जान लो कि यहाँ आदमी की ख़ैर नहीं!
    ~ Firaq Gorakhpuri
  • पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है;</br>
ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है!Upload to Facebook
    पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है;
    ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है!
    ~ Bashir Badr
  • सवाल करती कई आँखें मुंतज़िर हैं यहाँ;</br>
जवाब आज भी हम सोच कर नहीं आए!Upload to Facebook
    सवाल करती कई आँखें मुंतज़िर हैं यहाँ;
    जवाब आज भी हम सोच कर नहीं आए!
    ~ Aashufta Changezi
  • मेरी मजबूरियाँ क्या पूछते हो;</br>
कि जीने के लिए मजबूर हूँ मैं!Upload to Facebook
    मेरी मजबूरियाँ क्या पूछते हो;
    कि जीने के लिए मजबूर हूँ मैं!
    ~ Hafeez Jalandhari