यादें Hindi Shayari

  • कभी बैठे सब में जो रू-ब-रू तो इशारतों ही से गुफ़्तुगू;</br>
वो बयान शौक़ का बरमला तुम्हें याद हो कि न याद हो!Upload to Facebook
    कभी बैठे सब में जो रू-ब-रू तो इशारतों ही से गुफ़्तुगू;
    वो बयान शौक़ का बरमला तुम्हें याद हो कि न याद हो!
    ~ Momin Khan Momin
  • कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद;</br>
याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद!Upload to Facebook
    कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद;
    याद आएगी बहुत मेरी वफ़ा मेरे बाद!
    ~ Ameer Minai
  • जब सिवा मेरे तुम्हारा कोई दीवाना न था,</br>
सच कहो कुछ तुम को भी वो कार-ख़ाना याद है;</br>
ग़ैर की नज़रों से बच कर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़,</br>
वो तेरा चोरी-छुपे रातों को आना याद है!Upload to Facebook
    जब सिवा मेरे तुम्हारा कोई दीवाना न था,
    सच कहो कुछ तुम को भी वो कार-ख़ाना याद है;
    ग़ैर की नज़रों से बच कर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़,
    वो तेरा चोरी-छुपे रातों को आना याद है!
    ~ Hasrat Mohani
  • शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास;</br>
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं!Upload to Facebook
    शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास;
    दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं!
    ~ Firaq Gorakhpuri
  • ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें;<br/>
इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं!<br/>
*इल्म: ज्ञान<br/>
*रिसाले: पत्रिकाओंUpload to Facebook
    ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें;
    इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं!
    *इल्म: ज्ञान
    *रिसाले: पत्रिकाओं
    ~ Jaan Nisar Akhtar
  • अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है</br>
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई कीUpload to Facebook
    अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है
    जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की
    ~ Parveen Shakir
  • अब तो हर बात याद रहती है;</br>
ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया!Upload to Facebook
    अब तो हर बात याद रहती है;
    ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया!
    ~ Jaun Elia
  • वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का;<br/>
जो पिछली रात से याद आ रहा है!Upload to Facebook
    वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का;
    जो पिछली रात से याद आ रहा है!
    ~ Nasir Kazmi
  • मैं बहुत ख़ुश था कड़ी धूप के सन्नाटे में;</br>
क्यों तेरी याद का बादल मेरे सिर पर आया!Upload to Facebook
    मैं बहुत ख़ुश था कड़ी धूप के सन्नाटे में;
    क्यों तेरी याद का बादल मेरे सिर पर आया!
    ~ Mushtaq Ahmad Yusufi
  • तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी;</br>
कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो!Upload to Facebook
    तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी;
    कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो!
    ~ Jaun Elia