जब तुझे याद कर लिया सुबह महक महक उठी; जब तेरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गयी! |
जाते हो ख़ुदा-हाफ़िज़ हाँ इतनी गुज़ारिश है; जब याद हम आ जाएँ मिलने की दुआ करना! |
यूँ ही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना; तेरी याद तो बन गई एक बहाना! |
इस क़दर रोया हूँ तेरी याद में; आईने आँखों के धुँधले हो गए! |
नहीं आती तो याद उनकी महीनों तक नहीं आती; मगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं! |
एक मुद्दत से तेरी याद भी आयी न हमें; और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं! |
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब; आज तुम याद बे-हिसाब आए! |
दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया; जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया! |
दिल धड़कने का सबब याद आया; वो तेरी याद थी अब याद आया! |
मैं उस को भूल गया हूँ वो मुझ को भूल गया; तो फिर ये दिल पे क्यों दस्तक सी ना-गहानी हुई! *ना-गहानी - आकस्मिक, इत्तिफ़ाक़ी, दैविक, गैवी |