अन्य Hindi Shayari

  • हम तो रात का मतलब समझें ख़्वाब, सितारे, चाँद, चिराग;<br />
आगे का अहवाल वो जाने जिस ने रात गुज़ारी हो!<br /><br />
*अहवाल: परिस्थितिUpload to Facebook
    हम तो रात का मतलब समझें ख़्वाब, सितारे, चाँद, चिराग;
    आगे का अहवाल वो जाने जिस ने रात गुज़ारी हो!

    *अहवाल: परिस्थिति
    ~ Irfan Siddiqi
  • शुक्रिया ऐ क़ब्र तक पहुँचाने वालो शुक्रिया;<br />
अब अकेले ही चले जाएँगे इस मंज़िल से हम!Upload to Facebook
    शुक्रिया ऐ क़ब्र तक पहुँचाने वालो शुक्रिया;
    अब अकेले ही चले जाएँगे इस मंज़िल से हम!
    ~ Qamar Jalalvi
  • इन्हीं सिफ़ात से होता है आदमी मशहूर,</br>
जो लुत्फ़ आम वो करते ये नाम किस का था;</br>
हर एक से कहते हैं क्या 'दाग़' बेवफ़ा निकला,</br>
ये पूछे उन से कोई वो ग़ुलाम किस का था!</br></br>
*सिफ़ात: खूबी</br>
*लुत्फ़: कृपाUpload to Facebook
    इन्हीं सिफ़ात से होता है आदमी मशहूर,
    जो लुत्फ़ आम वो करते ये नाम किस का था;
    हर एक से कहते हैं क्या 'दाग़' बेवफ़ा निकला,
    ये पूछे उन से कोई वो ग़ुलाम किस का था!

    *सिफ़ात: खूबी
    *लुत्फ़: कृपा
    ~ Dagh Dehlvi
  • बहाना मिल न जाए बिजलियों को टूट पड़ने का;</br>
कलेजा काँपता है आशियाँ को आशियाँ कहते!</br></br>
*आशियाँ: घरUpload to Facebook
    बहाना मिल न जाए बिजलियों को टूट पड़ने का;
    कलेजा काँपता है आशियाँ को आशियाँ कहते!

    *आशियाँ: घर
    ~ Asar Lakhnavi
  • गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया;</br>
लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता!Upload to Facebook
    गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया;
    लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता!
    ~ Qateel Shifai
  • ये जो सिर नीचे किए बैठे हैं;</br>
जान कितनों की लिए बैठे हैं!Upload to Facebook
    ये जो सिर नीचे किए बैठे हैं;
    जान कितनों की लिए बैठे हैं!
    ~ Jaleel Manikpuri
  • इत्तेफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह;</br>
ख़ुद बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह!Upload to Facebook
    इत्तेफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह;
    ख़ुद बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह!
    ~ Anwar Shuoor
  • हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है;</br>
कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना!</br></br>
*अहवाल: परिस्थितिUpload to Facebook
    हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है;
    कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना!

    *अहवाल: परिस्थिति
    ~ Ada Jafarey
  • इतनी मुद्दत बाद मिले हो कुछ तो दिल का हाल कहो,</br>
कैसे बीते हम बिन प्यारे इतने माह-ओ-साल कहो;</br>
रूप को धोखा समझो नज़र का या फिर माया-जाल कहो,</br>
प्रीत को दिल का रोग समझ लो या जी का जंजाल कहो!</br></br>
*माह-ओ-साल: महीने और बरसUpload to Facebook
    इतनी मुद्दत बाद मिले हो कुछ तो दिल का हाल कहो,
    कैसे बीते हम बिन प्यारे इतने माह-ओ-साल कहो;
    रूप को धोखा समझो नज़र का या फिर माया-जाल कहो,
    प्रीत को दिल का रोग समझ लो या जी का जंजाल कहो!

    *माह-ओ-साल: महीने और बरस
    ~ Syed Shakeel Desnavi
  • अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा;</br>
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है!Upload to Facebook
    अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा;
    मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है!
    ~ Munawwar Rana