दर्द Hindi Shayari

  • तुम से मिलती-जुलती मैं आवाज़ कहाँ से लाऊँगा;</br>
ताज-महल बन जाए अगर मुम्ताज़ कहाँ से लाऊँगा!Upload to Facebook
    तुम से मिलती-जुलती मैं आवाज़ कहाँ से लाऊँगा;
    ताज-महल बन जाए अगर मुम्ताज़ कहाँ से लाऊँगा!
  • उल्फ़त का है मज़ा कि 'असर' ग़म भी साथ हों;</br>
तारीकियाँ भी साथ रहें रौशनी के साथ!</br></br>
*तारीकियाँ: अंधेराUpload to Facebook
    उल्फ़त का है मज़ा कि 'असर' ग़म भी साथ हों;
    तारीकियाँ भी साथ रहें रौशनी के साथ!

    *तारीकियाँ: अंधेरा
    ~ Asar Akbarabadi
  • वो नहीं भूलता जहाँ जाऊँ;</br>
हाए मैं क्या करूँ कहाँ जाऊँ!Upload to Facebook
    वो नहीं भूलता जहाँ जाऊँ;
    हाए मैं क्या करूँ कहाँ जाऊँ!
    ~ Imam Bakhsh Nasikh
  • ये ग़म नहीं है कि हम दोनों एक हो न सके;</br>
ये रंज है कि कोई दरमियान में भी न था!Upload to Facebook
    ये ग़म नहीं है कि हम दोनों एक हो न सके;
    ये रंज है कि कोई दरमियान में भी न था!
    ~ Jamal Ehsani
  • गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं काँटों से भी ज़ीनत होती है;</br>
जीने के लिए इस दुनिया में ग़म की भी ज़रूरत होती है!</br></br>
*फ़क़त: केवल</br>
*ज़ीनत: सजावटUpload to Facebook
    गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं काँटों से भी ज़ीनत होती है;
    जीने के लिए इस दुनिया में ग़म की भी ज़रूरत होती है!

    *फ़क़त: केवल
    *ज़ीनत: सजावट
    ~ Saba Afghani
  • कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास-ए-मोहब्बत है;<br/>
हम आह तो करते हैं फ़रियाद नहीं करते!Upload to Facebook
    कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास-ए-मोहब्बत है;
    हम आह तो करते हैं फ़रियाद नहीं करते!
    ~ Fana Nizami Kanpuri
  • ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिन;</br>
लोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं!Upload to Facebook
    ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिन;
    लोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं!
    ~ Abbas Tabish
  • अभी से पाँव के छाले न देखो;</br>
अभी यारो सफ़र की इब्तिदा है!</br></br>
*इब्तिदा: शुरुआतUpload to Facebook
    अभी से पाँव के छाले न देखो;
    अभी यारो सफ़र की इब्तिदा है!

    *इब्तिदा: शुरुआत
    ~ Ejaz Rahmani
  • मेरे अंदर कई एहसास पत्थर हो रहे हैं;</br>
ये शीराज़ा बिखरना अब ज़रूरी हो गया है!</br></br>
*शीराज़ा: बिखरी हुई चीज़ों की एकत्रताUpload to Facebook
    मेरे अंदर कई एहसास पत्थर हो रहे हैं;
    ये शीराज़ा बिखरना अब ज़रूरी हो गया है!

    *शीराज़ा: बिखरी हुई चीज़ों की एकत्रता
    ~ Khushbir Singh Shaad
  • जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का 'शकील';</br>
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया!Upload to Facebook
    जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का 'शकील';
    मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया!
    ~ Shakeel Badayuni