Hindi Shayari

  • हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल;</br>
ऐ ज़िंदगी वगरना ज़माने में क्या न था!</br></br>
*फ़क़त: केवलUpload to Facebook
    हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल;
    ऐ ज़िंदगी वगरना ज़माने में क्या न था!

    *फ़क़त: केवल
    ~ Azad Ansari
  • अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं,</br>
'फ़राज़' अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं;</br>
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र,</br>
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं!Upload to Facebook
    अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं,
    'फ़राज़' अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं;
    जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र,
    कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं!
    ~ Ahmad Faraz
  • रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा,</br>
मुक़ीम कौन हुआ है मक़ाम किस का था;</br>
न पूछ-गछ थी किसी की वहाँ न आव-भगत,</br>
तुम्हारी बज़्म में कल एहतिमाम किस का था!</br></br>
*बज़्म: सभा</br>
*मुश्ताक़: शौक़ रखने वालाUpload to Facebook
    रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा,
    मुक़ीम कौन हुआ है मक़ाम किस का था;
    न पूछ-गछ थी किसी की वहाँ न आव-भगत,
    तुम्हारी बज़्म में कल एहतिमाम किस का था!

    *बज़्म: सभा
    *मुश्ताक़: शौक़ रखने वाला
    ~ Dagh Dehlvi
  • मैंने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी;</br>
कोई आहट न हो दर पर मेरे जब तू आए!Upload to Facebook
    मैंने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी;
    कोई आहट न हो दर पर मेरे जब तू आए!
    ~ Bashir Badr
  • ग़ैरों से तो फ़ुर्सत तुम्हें दिन रात नहीं है;</br>
हाँ मेरे लिए वक़्त-ए-मुलाक़ात नहीं है!Upload to Facebook
    ग़ैरों से तो फ़ुर्सत तुम्हें दिन रात नहीं है;
    हाँ मेरे लिए वक़्त-ए-मुलाक़ात नहीं है!
    ~ Lala Madhav Ram Jauhar
  • इत्तेफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह;</br>
ख़ुद बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह!Upload to Facebook
    इत्तेफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह;
    ख़ुद बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह!
    ~ Anwar Shuoor
  • सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ;</br>
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ!</br></br>
*ग़ाफ़िल: गहरी नींद सोने वालाUpload to Facebook
    सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ;
    ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ!

    *ग़ाफ़िल: गहरी नींद सोने वाला
    ~ Khwaja Meer Dard
  • हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है;</br>
कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना!</br></br>
*अहवाल: परिस्थितिUpload to Facebook
    हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है;
    कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना!

    *अहवाल: परिस्थिति
    ~ Ada Jafarey
  • इतनी मुद्दत बाद मिले हो कुछ तो दिल का हाल कहो,</br>
कैसे बीते हम बिन प्यारे इतने माह-ओ-साल कहो;</br>
रूप को धोखा समझो नज़र का या फिर माया-जाल कहो,</br>
प्रीत को दिल का रोग समझ लो या जी का जंजाल कहो!</br></br>
*माह-ओ-साल: महीने और बरसUpload to Facebook
    इतनी मुद्दत बाद मिले हो कुछ तो दिल का हाल कहो,
    कैसे बीते हम बिन प्यारे इतने माह-ओ-साल कहो;
    रूप को धोखा समझो नज़र का या फिर माया-जाल कहो,
    प्रीत को दिल का रोग समझ लो या जी का जंजाल कहो!

    *माह-ओ-साल: महीने और बरस
    ~ Syed Shakeel Desnavi
  • जो कहा मैंने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर;</br>
हँस के कहने लगा और आप को आता क्या है !Upload to Facebook
    जो कहा मैंने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर;
    हँस के कहने लगा और आप को आता क्या है !
    ~ Akbar Allahabadi