आँखों से मोहब्बत के इशारे निकल आए; बरसात के मौसम में सितारे निकल आए! |
ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं; फिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं! |
जो दिल ने कही लब पे कहाँ आई है देखो; अब महफ़िल याराँ में भी तन्हाई है देखो! |
अनहोनी कुछ ज़रूर हुई दिल के साथ आज; नादान था मगर ये दीवाना कभी न था! |
ये क्या पड़ी है तुझे दिल जलों में बैठने की; ये उम्र तो है मियाँ दोस्तों में बैठने की! |
तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए: कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए! |
काश देखो कभी टूटे हुए आईनों को: दिल शिकस्ता हो तो फिर अपना पराया क्या है! |
वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी: मैं उस की क़ैद में हूँ क़ैद से रिहाई में भी! |
ख़ुदा बचाए तेरी मस्त मस्त आँखों से: फ़रिश्ता हो वो भी बहक जाए आदमी क्या है! |
उन्हें अपने दिल की ख़बरें मेरे दिल से मिल रही हैं: मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे ! |