Hindi Shayari

  • आँखों से मोहब्बत के इशारे निकल आए;<br/>
बरसात के मौसम में सितारे निकल आए!Upload to Facebook
    आँखों से मोहब्बत के इशारे निकल आए;
    बरसात के मौसम में सितारे निकल आए!
    ~ Mansoor Usmani
  • ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं;<br/>
फिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं!Upload to Facebook
    ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं;
    फिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं!
    ~ Iftikhar Arif
  • जो दिल ने कही लब पे कहाँ आई है देखो;<br/>
अब महफ़िल याराँ में भी तन्हाई है देखो!Upload to Facebook
    जो दिल ने कही लब पे कहाँ आई है देखो;
    अब महफ़िल याराँ में भी तन्हाई है देखो!
    ~ Zehra Nigaah
  • अनहोनी कुछ ज़रूर हुई दिल के साथ आज;<br/>
नादान था मगर ये दीवाना कभी न था!Upload to Facebook
    अनहोनी कुछ ज़रूर हुई दिल के साथ आज;
    नादान था मगर ये दीवाना कभी न था!
    ~ Bilqis Zafirul Hasan
  • ये क्या पड़ी है तुझे दिल जलों में बैठने की;<br/>
ये उम्र तो है मियाँ दोस्तों में बैठने की!Upload to Facebook
    ये क्या पड़ी है तुझे दिल जलों में बैठने की;
    ये उम्र तो है मियाँ दोस्तों में बैठने की!
    ~ Aabid Umar
  • तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए:<br/>
कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए!Upload to Facebook
    तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए:
    कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए!
    ~ Fana Nizami Kanpuri
  • काश देखो कभी टूटे हुए आईनों को:<br/>
दिल शिकस्ता हो तो फिर अपना पराया क्या है!Upload to Facebook
    काश देखो कभी टूटे हुए आईनों को:
    दिल शिकस्ता हो तो फिर अपना पराया क्या है!
    ~ Obaidullah Aleem
  • वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी:<br/>
मैं उस की क़ैद में हूँ क़ैद से रिहाई में भी!Upload to Facebook
    वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी:
    मैं उस की क़ैद में हूँ क़ैद से रिहाई में भी!
    ~ Iftikhar Arif
  • ख़ुदा बचाए तेरी मस्त मस्त आँखों से:<br/>
फ़रिश्ता हो वो भी बहक जाए आदमी क्या है!Upload to Facebook
    ख़ुदा बचाए तेरी मस्त मस्त आँखों से:
    फ़रिश्ता हो वो भी बहक जाए आदमी क्या है!
    ~ Khumar Barabankvi
  • उन्हें अपने दिल की ख़बरें मेरे दिल से मिल रही हैं:<br/>
मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे !Upload to Facebook
    उन्हें अपने दिल की ख़बरें मेरे दिल से मिल रही हैं:
    मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे !
    ~ Shakeel Badayuni