कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे; हर ज़माने में शहादत के यही अस्बाब थे! |
सर से पा तक वो गुलाबों का शजर लगता है, बा-वज़ू हो के भी छूते हुए डर लगता है; मैं तेरे साथ सितारों से गुज़र सकता हूँ, कितना आसान मोहब्बत का सफ़र लगता है! *बा-वज़ू: शुद्ध और स्वच्छ |
शुक्रिया ऐ क़ब्र तक पहुँचाने वालो शुक्रिया; अब अकेले ही चले जाएँगे इस मंज़िल से हम! |
एक हक़ीक़त हूँ अगर इज़हार हो जाऊँगा मैं; जाने किस किस जुर्म का इक़रार हो जाऊँगा मैं! |
हम भी वहीं मौजूद थे हम से भी सब पूछा किए, हम हँस दिए हम चुप रहे मंज़ूर था पर्दा तेरा; इस शहर में किस से मिलें हम से तो छूटीं महफ़िलें, हर शख़्स तेरा नाम ले हर शख़्स दीवाना तेरा! |
दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ से; इस घर को आग लग गई घर के चिराग से! *फफूले: छाले |
मिल रही हो बड़े तपाक के साथ; मुझ को यकसर भुला चुकी हो क्या! *तपाक: जोश *यकसर: बिलकुल |
इन्हीं सिफ़ात से होता है आदमी मशहूर, जो लुत्फ़ आम वो करते ये नाम किस का था; हर एक से कहते हैं क्या 'दाग़' बेवफ़ा निकला, ये पूछे उन से कोई वो ग़ुलाम किस का था! *सिफ़ात: खूबी *लुत्फ़: कृपा |
बहाना मिल न जाए बिजलियों को टूट पड़ने का; कलेजा काँपता है आशियाँ को आशियाँ कहते! *आशियाँ: घर |
गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया; लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता! |