ज़िन्दगी Hindi Shayari

  • ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहीं, और क्या जुर्म है पता ही नहीं;
    इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं, मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं!
    ~ Shujaat Khan
  • एक सुकून की तलाश में जाने कितनी बेचैनियाँ पाल ली,
    और लोग कहते हैं की हम बड़े हो गए हमने ज़िंदगी संभाल ली!
    ~ Gulzar
  • सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ;</br>
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ!</br></br>
*ग़ाफ़िल: गहरी नींद सोने वालाUpload to Facebook
    सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ;
    ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ!

    *ग़ाफ़िल: गहरी नींद सोने वाला
    ~ Khwaja Meer Dard
  • ना-उमीदी मौत से कहती है अपना काम कर;</br>
आस कहती है ठहर ख़त का जवाब आने को है!Upload to Facebook
    ना-उमीदी मौत से कहती है अपना काम कर;
    आस कहती है ठहर ख़त का जवाब आने को है!
    ~ Fani Badayuni
  • वो क्या मंज़िल जहाँ से रास्ते आगे निकल जाएँ;</br>
सो अब फिर एक सफ़र का सिलसिला करना पड़ेगा!Upload to Facebook
    वो क्या मंज़िल जहाँ से रास्ते आगे निकल जाएँ;
    सो अब फिर एक सफ़र का सिलसिला करना पड़ेगा!
    ~ Iftikhar Arif
  • दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है;</br>
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है!Upload to Facebook
    दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है;
    मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है!
    ~ Nida Fazli
  • मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदर;</br>
आदमी हूँ सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर!</br></br>
*रुस्वाई: बदनामी</br>
*अस्बाब: कारण, हालातUpload to Facebook
    मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदर;
    आदमी हूँ सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर!

    *रुस्वाई: बदनामी
    *अस्बाब: कारण, हालात
    ~ Asad Badayuni
  • मुझे ये डर है दिल-ए-ज़िंदा तू न मर जाए;</br>
कि ज़िंदगानी इबारत है तेरे जीने से!</br></br>
*इबारत: प्रतीकUpload to Facebook
    मुझे ये डर है दिल-ए-ज़िंदा तू न मर जाए;
    कि ज़िंदगानी इबारत है तेरे जीने से!

    *इबारत: प्रतीक
    ~ Khwaja Mir Dard
  • झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गए;</br>
और मैं था कि सच बोलता रह गया!Upload to Facebook
    झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गए;
    और मैं था कि सच बोलता रह गया!
    ~ Wasim Barelvi
  • उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में;</br>
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते!Upload to Facebook
    उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में;
    फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते!
    ~ Bashir Badr