तेज़ है आज दर्द-ए-दिल साक़ी; तल्ख़ी-ए-मय को तेज़-तर कर दे! * तल्ख़ी-ए-मय: bitterness of the wine |
ज़माना बड़े शौक़ से सुन रहा था; हमीं सो गए दास्ताँ कहते कहते! |
ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को; अपने अंदाज़ से गँवाने का! *फ़न: कला |
सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी; तुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी! |
हम ने देखा है ज़माने का बदलना लेकिन; उनके बदले हुए तेवर नहीं देखे जाते! |
न तुम होश में हो न हम होश में हैं; चलो मय-कदे में वहीं बात होगी! |
इश्क़ में कौन बता सकता है; किस ने किस से सच बोला है! |
वफ़ा करेंगे निभायेंगे बात मानेंगे; तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था! कलाम: बात, बातें |
ज़रा देर बैठे थे तन्हाई में; तेरी याद आँखें दुखाने लगी! |
दर्द-ओ-ग़म दिल की तबीयत बन गए; अब यहाँ आराम ही आराम है! |