Hindi Shayari

  • ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा,</br>
इस रात की तक़दीर सँवर जाए तो अच्छा;</br>
जिस तरह से थोड़ी सी तेरे साथ कटी है,</br>
बाक़ी भी उसी तरह गुज़र जाए तो अच्छा!Upload to Facebook
    ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा,
    इस रात की तक़दीर सँवर जाए तो अच्छा;
    जिस तरह से थोड़ी सी तेरे साथ कटी है,
    बाक़ी भी उसी तरह गुज़र जाए तो अच्छा!
    ~ Sahir Ludhianvi
  • समझा लिया फ़रेब से मुझ को तो आप ने;</br>
दिल से तो पूछ लीजिए क्यों बे-क़रार है!Upload to Facebook
    समझा लिया फ़रेब से मुझ को तो आप ने;
    दिल से तो पूछ लीजिए क्यों बे-क़रार है!
    ~ Lala Madhav Ram Jauhar
  • अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ;</br>
देखा जो मुझ को छोड़ दिए मुस्कुरा के हाथ!Upload to Facebook
    अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ;
    देखा जो मुझ को छोड़ दिए मुस्कुरा के हाथ!
    ~ Nizam Rampuri
  • वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है,</br>
उस एक पल का तुझे इंतज़ार है कि नहीं;</br>
तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को,</br>
तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है कि नहीं!Upload to Facebook
    वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है,
    उस एक पल का तुझे इंतज़ार है कि नहीं;
    तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को,
    तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है कि नहीं!
    ~ Kaifi Azmi
  • गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर';</br>
क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना!</br></br>
*गाहे: कभीUpload to Facebook
    गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर';
    क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना!

    *गाहे: कभी
    ~ Ameer Minai
  • भीड़ तन्हाइयों का मेला है;</br>
आदमी आदमी अकेला है!Upload to Facebook
    भीड़ तन्हाइयों का मेला है;
    आदमी आदमी अकेला है!
    ~ Saba Akbarabadi
  • किसी की शाम-ए-सादगी सहर का रंग पा गई,</br>
सबा के पाँव थक गए मगर बहार आ गई;</br>
चमन की जश्न-गाह में उदासियाँ भी कम न थीं,</br>
जली जो कोई शम-ए-गुल कली का दिल बुझा गई!Upload to Facebook
    किसी की शाम-ए-सादगी सहर का रंग पा गई,
    सबा के पाँव थक गए मगर बहार आ गई;
    चमन की जश्न-गाह में उदासियाँ भी कम न थीं,
    जली जो कोई शम-ए-गुल कली का दिल बुझा गई!
    ~ Sant Darshan Singh
  • मिट्टी ख़राब है तेरे कूचे में वर्ना हम;</br>
अब तक तो जिस ज़मीं पे रहे आसमाँ रहे!Upload to Facebook
    मिट्टी ख़राब है तेरे कूचे में वर्ना हम;
    अब तक तो जिस ज़मीं पे रहे आसमाँ रहे!
    ~ Anwar Dehlvi
  • कल उस सनम के कूचे से निकला जो शैख़-ए-वक़्त;</br>
कहते थे सब इधर से अजब बरहमन गया!</br></br>
*शैख़-ए-वक़्त: अपने समय का सबसे बड़ा धर्मगुरु</br>
*बरहमन: ब्राह्मण   
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    कल उस सनम के कूचे से निकला जो शैख़-ए-वक़्त;
    कहते थे सब इधर से अजब बरहमन गया!

    *शैख़-ए-वक़्त: अपने समय का सबसे बड़ा धर्मगुरु
    *बरहमन: ब्राह्मण
    ~ Jurat Qalandar Bakhsh
  • दोनों तेरी जुस्तुजू में फिरते हैं दर दर तबाह;</br>
दैर हिन्दू छोड़ कर काबा मुसलमाँ छोड़ कर!Upload to Facebook
    दोनों तेरी जुस्तुजू में फिरते हैं दर दर तबाह;
    दैर हिन्दू छोड़ कर काबा मुसलमाँ छोड़ कर!
    ~ Waliullah Muhib